शुक्र ग्रह अच्छा होने से क्या होता है
प्राचीन ज्योतिषीय ग्रंथो में नौ ग्रह बारह राशियाँ सत्ताईस नक्षत्र संकलित है और यही ज्योतिष के मूलभूत आधार भी है तो आइये हम जानते है की कुंडली में शुक्र ग्रह अच्छा होने से क्या होता है हमारे प्राचीन ऋषि मुनियों ने अपनी दिव्यदृष्टि से इसे ज्योतिष बिधा के रूप में साकार किया जिन्हें हम आज आपने दैनिक जीवन में फलित करते है अगर हम नौ ग्रहों की बात करे तो क्रमशः सूर्य , चन्द्रमा , मंगल , बृहस्पति , शुक्र , बुध , शनि , राहू , केतू है सभी ग्रहों की कार्य प्रणाली अलग है हम सब अपने जीवन को हसी खुशी हर्षौल्लास के व्यतीत करना चाहते है कोई सुख भोगना चाहता है तो कोई खूब सारा धन दौलत ऐश्वर्य चाहता है जिसके कारक ग्रह शुक्र है
शुक्र ग्रह का कुंडली में महत्व-
- ज्योतिष में शुक्र गृह को विशेष दर्जा प्राप्त है कालपुरूष कुंडली में शुक्र को दुसरे और सातवे घर का मालिक कहा गया है दुसरे घर से हम धन ,वाणी ,परिवार ,विरासत आदि के बारे में पता करते है जबकि सातवे घर से पत्नी ,व्यापार ,साझेदार कामवासना आदि के बारे में पता चलता है हालाकि ये दोनों घर मारकेश की श्रेणी में भी आते है फिलहाल मारकेश की चर्चा हम किसी और पोस्ट में करेंगे आज हम बात करेंगे शुक्र गृह अच्छा होने से क्या होता है शुक्र सुन्दरता के कारक ग्रह है
- शुक्र को गुरु का दर्जा प्राप्त है इन्हें दैत्यों का गुरु कहा जाता है कुंडली में शुभ अवस्था में बैठे शुक्र बृहस्पति से भी शक्तिशाली हो जाते है और जीवन के सभी सुख भोग धन वैभव अनायास ही मिलने लगता है और एक समय के बाद यही शुक्र जीवन के सभी सुखो का आनंद लेने के बाद उससे मोह भंग करवा देते है आध्यात्मिक उन्नति भी दे जाते है
- पुरुष की कुंडली में शुक्र अच्छा हो तो पत्नी सुन्दर सुशील संस्कारी होती है अगर पाप प्रभाव में न हो तो, विशेषकर राहू, केतू, शनि, मंगल से दृष्टि सम्बन्ध हो तो चारित्रिक दोष उत्पन्न कर सकते है हालाकि शुक्र राहू एक साथ होतो धन ऐश्वर्य यौन सुख तथा लम्पट भी बना देता है छठे घर में शुभ राशि में अस्टलक्ष्मी योग बनाता है
- शुक्र ग्रह की दूसरी और सातवी राशि वृषभ और तुला होती है जिसमे शुक्र शुभ परिणाम ही देते है और मीन राशि में उच्च के तथा कन्या राशि में नीच के होते है
शुक्र ग्रह शुभ अवस्था में हो तो
कुंडली में शुक्र ग्रह अच्छा हो तो जातक संगीत कला मंच नाटक आदि में प्रसिद्धि प्राप्त करता है यही शुक्र पुरुष की कुंडली में स्त्री का कारक होता है जो स्त्री सुख तभी प्राप्त कर सकता है जब शुक्र बली अवस्था में हो बृहस्पति वैवाहिक सुख में सहयोग करते है बृहस्पति और शुक्र कुंडली के ये दो ग्रह अगर शुभ होकर अच्छे घरो में बैठे होतो लौकिक सुखो के साथ पारलौकिक सुख भी प्रदान करते है यानी की आध्यात्मिक उन्नति भी खूब होती है शुक्र की प्रबलता से जातक तंत्र शास्त्र का ज्ञाता भी बन सकता है शुक्र ग्रह अगर शुभ फल दे रहे होतो साफ़ कपड़े पहने और गुलाब का इत्र लगावे
शुक्र ग्रह अशुभ अवस्था में हो तो
कुंडली में शुक्र अशुभ हो तो जातक जातक प्रेम संबंधो में एक तरफा मोहब्बत करने वाला वासनामयी प्रवृति कुविचार और यौन रोगों से पीड़ित भी हो सकता है और अपने निजी जीवन में भोग रहित सौन्दर्य सुख की लालसा रखता है शुक्र ग्रह को अच्छा बनाने के लिए अपनी पत्नी का सम्मान करे माँ लक्ष्मी की आराधना करे और सफ़ेद गाय की सेवा करे और दूध का खीर बनाकर प्रत्येक शुक्रवार को घर के मंदिर में भोग लगाये
शुक्र ग्रह कमजोर अवस्था में हो तो
आप अपनी कुंडली में शुक्र ग्रह की स्थिति के अनुसार रत्न भी पहन सकते है शुक्र गृह का रत्न हीरा (Diamond) है अगर अशुभ स्थानों में होतो रत्न कभी भी धारण न करे तब उनके बीज मंत्रो का जाप करे
मंत्र :- ॐ द्रां द्रीं द्रौं सः शुक्राय नमः